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रज़िया सज्जाद ज़हीर की कहानियाँ
ज़र्द गुलाब
यह कहानी एक ऐसी तस्वीर के आस-पास घूमती है, जिसमें शाम के समय का परिदृश्य दिखाया गया है। तस्वीर में एक मेज़ पर गुलाब के फूलों का एक गुलदान रखा है। गुलदान के पास ही एक ज़र्द गुलाब पड़ा है। गुलाब को देखकर बेटी पिता से पूछती है कि यह गुलाब अलग क्यों पड़ा है। पिता बेटी को उसके सवाल का जवाब देता है, पर वह उस जवाब से संतुष्ट नहीं होती। आख़िर में जब उसकी माँ का देहांत हो जाता है तो वह बेटी के लिए एक वसीयत छोड़ जाती है। वसीयत में वह तस्वीर होती है और साथ ही उसके सवाल का जवाब भी होता है कि आख़िर वह ज़र्द गुलाब गुलदान से अलग अकेला क्यों रखा है।
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बाल-साहित्य1968
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