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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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सईद रोशन

1956 | कुवैत

सईद रोशन

ग़ज़ल 1

 

दोहा 4

गुज़रे वक़्तों की तरह मुझे जाना भूल

दिल की किताब में रक्खा है मैं ने भी इक फूल

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खेल खेल में हाथ से गया खिलौना छूट

गया खिलौने की तरह बच्चे का दिल टूट

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तेज़ हवा ने कर दिया पैदा फिर बिखराव

पत्ते टूटें पेड़ से बढ़ता जाए लगाव

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तेज़ हवा ने छीन लिया उन का हर एहसास

पेड़ों के हम-राह ही साए हुए उदास

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पुस्तकें 4

 

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