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सहर अंसारी

ग़ज़ल 28

नज़्म 11

अशआर 16

अजीब होते हैं आदाब-ए-रुख़स्त-ए-महफ़िल

कि वो भी उठ के गया जिस का घर था कोई

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कैसी कैसी महफ़िलें सूनी हुईं

फिर भी दुनिया किस क़दर आबाद है

जाने क्यूँ रंग-ए-बग़ावत नहीं छुपने पाता

हम तो ख़ामोश भी हैं सर भी झुकाए हुए हैं

मौत के बाद ज़ीस्त की बहस में मुब्तला थे लोग

हम तो 'सहर' गुज़र गए तोहमत-ए-ज़िंदगी उठाए

सदा अपनी रविश अहल-ए-ज़माना याद रखते हैं

हक़ीक़त भूल जाते हैं फ़साना याद रखते हैं

पुस्तकें 6

 

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

सहर अंसारी

Apne khoon se jo hum ek shama jalaye huye hain

Professor Sahar Ansari is an Urdu poet, critic and scholar fo Urudu literature and linguistic from Pakistan. Prof. Sahar Ansari has been awarded Tamgha-e-Imtiyaz by the government of Pakistan. Sahar Ansari reciting his ghazal for Rekhta.org. सहर अंसारी

Kaha tak jaya ja sakta hai izhar e mohabbar mein

Professor Sahar Ansari is an Urdu poet, critic and scholar fo Urudu literature and linguistic from Pakistan. Prof. Sahar Ansari has been awarded Tamgha-e-Imtiyaz by the government of Pakistan. Sahar Ansari reciting his ghazal for Rekhta.org. सहर अंसारी

Mile hamesha safhe motabar badalte huye

Professor Sahar Ansari is an Urdu poet, critic and scholar fo Urudu literature and linguistic from Pakistan. Prof. Sahar Ansari has been awarded Tamgha-e-Imtiyaz by the government of Pakistan. Sahar Ansari reciting his ghazal for Rekhta.org. सहर अंसारी

Sahar Ansari on Shabnam Romani - Arts council Karachi May 2010 -10

सहर अंसारी

Sahar Ansari tribute to Nazar Amrohvi

सहर अंसारी

Yaad thay, yaadgaar thay hum tau (Sahar Ansari talks about Jaun Elia) 2/4

सहर अंसारी

Yadgari jalsa in Karachi to remember Urdu poet Qabil Ajmeri held in Apl 2005

सहर अंसारी

सहर अंसारी

अपने ख़ूँ से जो हम इक शम्अ जलाए हुए हैं

सहर अंसारी

अपने ख़ूँ से जो हम इक शम्अ जलाए हुए हैं

सहर अंसारी

किसी भी ज़ख़्म का दिल पर असर न था कोई

सहर अंसारी

मिली भी क्या दर-ए-दौलत से कार-ए-इश्क़ की दाद

सहर अंसारी

रास्तों में इक नगर आबाद है

सहर अंसारी

विसाल-ओ-हिज्र से वाबस्ता तोहमतें भी गईं

सहर अंसारी

सज़ा बग़ैर अदालत से मैं नहीं आया

सहर अंसारी

सज़ा बग़ैर अदालत से मैं नहीं आया

सहर अंसारी

सज़ा बग़ैर अदालत से मैं नहीं आया

सहर अंसारी

सदा अपनी रविश अहल-ए-ज़माना याद रखते हैं

सहर अंसारी

हम अहल-ए-ज़र्फ़ कि ग़म-ख़ाना-ए-हुनर में रहे

सहर अंसारी

हवस ओ वफ़ा की सियासतों में भी कामयाब नहीं रहा

सहर अंसारी

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