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सैफ़ुद्दीन सैफ़

1922 - 1993 | लाहौर, पाकिस्तान

पाकिस्तानी शायर और गीतकार

पाकिस्तानी शायर और गीतकार

सैफ़ुद्दीन सैफ़

ग़ज़ल 47

नज़्म 6

अशआर 39

आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के ब'अद

आज की रात बड़ी देर के ब'अद आई है

क्यूँ उजड़ जाती है दिल की महफ़िल

ये दिया कौन बुझा देता है

क्या क़यामत है हिज्र के दिन भी

ज़िंदगी में शुमार होते हैं

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जी नहीं आप से क्या मुझ को शिकायत होगी

हाँ मुझे तल्ख़ी-ए-हालात पे रोना आया

दिल-ए-नादाँ तिरी हालत क्या है

तू अपनों में बेगानों में

पुस्तकें 3

 

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 19

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

सैफ़ुद्दीन सैफ़

सैफ़ुद्दीन सैफ़

सैफ़ुद्दीन सैफ़

सैफ़ुद्दीन सैफ़

सैफ़ुद्दीन सैफ़

सैफ़ुद्दीन सैफ़

सैफ़ुद्दीन सैफ़

दर-पर्दा जफ़ाओं को अगर जान गए हम

सैफ़ुद्दीन सैफ़

वा'दा

इस से पहले कि तेरी चश्म-ए-करम सैफ़ुद्दीन सैफ़

क़ज़ा का वक़्त रुख़्सत की घड़ी है

सैफ़ुद्दीन सैफ़

क़रीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ

सैफ़ुद्दीन सैफ़

ऑडियो 11

आए थे उन के साथ नज़ारे चले गए

क़रीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ

खोया पाने वालों ने

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