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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

सलीम फ़िगार

ग़ज़ल 30

नज़्म 5

 

अशआर 5

अँधेरे को निगलता जा रहा हूँ

दिया हूँ और जलता जा रहा हूँ

कहीं आँखें कहीं बाज़ू कहीं से सर निकल आए

अँधेरा फैलते ही हर तरफ़ से डर निकल आए

लफ़्ज़ ले कर ख़याल की वुसअत

शेर की ताज़गी की सम्त गया

वो चाँद टूट गया जिस से रात रौशन थी

चमक रहे थे फ़लक पर जो सब सितारे गए

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शाख़-दर-शाख़ तिरी याद की हरियाली है

हम ने शादाब बहुत दिल का शजर रक्खा है

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पुस्तकें 2

 

वीडियो 4

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Saleem Figar in London in 2011

सलीम फ़िगार

Saleem Figar reading his poetry

सलीम फ़िगार

ye dua hai aane waale saal ka suuraj

सलीम फ़िगार

सलीम फ़िगार

Recitation

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