सरफ़राज़ शाहिद
ग़ज़ल 9
नज़्म 5
अशआर 15
कुछ मह-जबीं लिबास के फैशन की दौड़ में
पाबंदी-ए-लिबास से आगे निकल गए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
कि जैसे भी हों बच्चे माँ को प्यारे एक जैसे हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मुर्ग़ पर फ़ौरन झपट दावत में वर्ना ब'अद में
शोरबा और गर्दनों की हड्डियाँ रह जाएँगी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए