शबाब ललित
ग़ज़ल 19
नज़्म 1
अशआर 1
दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere