शायर, लेखिका और शिक्षाविद शबनम शकील का जन्म 12 मार्च 1942 को लाहौर, पाकिस्तान में हुआ। उन्होंने कम उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था और 1965 में उनकी पहली किताब “तन्क़ीदी मज़ामीन” प्रकाशित हुई। इसके अलावा, उनकी कई और किताबें प्रकाशित हुईं, जैसे “शबज़ाद” (काव्य-संग्रह) 1987 में, “इज़्तिराब” (काव्य-संग्रह) 1994 में और नस्र की किताबों में “तक़रीब कुछ तो हो”, “न क़फ़स न आशियाना”, और “आवाज़ तो देखो” 2003 में। उनका एक और काव्य-संग्रह “मुसाफ़त रायगाँ थी” 2008 में प्रकाशित हुआ। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में 30 साल बिताए, लाहौर कॉलेज फ़ाॅर वूमेन, गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज, क्वेटा और फ़ेडरल गवर्नमेंट कॉलेज, इस्लामाबाद में पढ़ाया। उन्हें कई पुरस्कार भी मिले, जिनमें प्राइड ऑफ़ परफ़ाॅर्मेंस शामिल है। शबनम शकील का निधन 2 मार्च 2013 को कराची में 70 वर्ष की आयु में हुआ।
उर्दू शायरी में स्त्री-चेतना के संदर्भ में शबनम शकील की नज़्म “मौत के कुएं में मोटरसाइकिल चलाने वाली औरत” एक बेहतरीन मिसाल है। जब भी फ़हमीदा रियाज़ ने फ़ेमिनिज़्म पर बात की, इस नज़्म का ज़िक्र ज़रूर किया। ख़ालिदा हुसैन इस नज़्म के बारे में लिखती हैं कि यह “एक स्त्री की अदम्य आत्मा की कहानी है, जो तमाम मुसीबतों के बावजूद हार मानने को तैयार नहीं हुई। जिसके भीतर हमेशा सच की शमा रौशन रही।”