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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shahid Meer's Photo'

भारतीय संगीत के विद्वान और संगीतकार।

भारतीय संगीत के विद्वान और संगीतकार।

शाहिद मीर के शेर

और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन

मेरी चादर मिरे पैरों के बराबर कर दे

पहले तो छीन ली मिरी आँखों की रौशनी

फिर आईने के सामने लाया गया मुझे

शजर ने लहलहा कर और हवा ने चूम कर मुझ को

तिरी आमद के अफ़्साने सुनाए झूम कर मुझ को

वही सफ़्फ़ाक हवाओं का सदफ़ बनते हैं

जिन दरख़्तों का निकलता हुआ क़द होता है

तुझ को देखा नहीं महसूस किया है मैं ने

किसी दिन मिरे एहसास को पैकर कर दे

गँवाए बैठे हैं आँखों की रौशनी 'शाहिद'

जहाँ-पनाह का इंसाफ़ देखने वाले

ख़ौफ़ से अब यूँ अपने घर का दरवाज़ा लगा

तेज़ हैं कितनी हवाएँ इस का अंदाज़ा लगा

बुझती हुई सी एक शबीह ज़ेहन में लिए

मिटती हुई सितारों की सफ़ देखते रहे

रोने से और लुत्फ़ वफ़ाओं का बढ़ गया

सब ज़ाइक़ा फलों में नए पानियों का है

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