Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Shaikh Ibrahim Zauq's Photo'

शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

1790 - 1854 | दिल्ली, भारत

आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के उस्ताद और राजकवि , मिर्ज़ा ग़ालिब से उनकी प्रतिद्वंदिता प्रसिद्ध है।

आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के उस्ताद और राजकवि , मिर्ज़ा ग़ालिब से उनकी प्रतिद्वंदिता प्रसिद्ध है।

शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ की चित्र शायरी

कितने मुफ़लिस हो गए कितने तवंगर हो गए

तू भला है तो बुरा हो नहीं सकता ऐ 'ज़ौक़'

क्या जाने उसे वहम है क्या मेरी तरफ़ से

एक आँसू ने डुबोया मुझ को उन की बज़्म में

क्या जाने उसे वहम है क्या मेरी तरफ़ से

एक आँसू ने डुबोया मुझ को उन की बज़्म में

क्या जाने उसे वहम है क्या मेरी तरफ़ से

तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए