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शमीम जयपुरी

1933 - 1999 | मेरठ, भारत

मुशायरों के लोकप्रिय शायर

मुशायरों के लोकप्रिय शायर

शमीम जयपुरी

ग़ज़ल 28

अशआर 5

मिरी ख़ुशी से मिरे दोस्तों को ग़म है 'शमीम'

मुझे भी इस का बहुत ग़म है क्या किया जाए

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बहुत तवील शब-ए-ग़म है क्या किया जाए

उमीद-ए-सुब्ह बहुत कम है क्या किया जाए

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बा-वफ़ाई की अदा पाने लगा हूँ तुझ में

जफ़ा-दोस्त ये क्या देख रहा हूँ तुझ में

तर्क-ए-मोहब्बत पर भी होगी उन को नदामत हम से ज़ियादा

किस ने की है कौन करेगा उन से मोहब्बत हम से ज़ियादा

दुनिया है कि गोशा-ए-जहन्नम

हर वक़्त अज़ाब-ए-इलाही तौबा

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Reading his poetry at a mushaira

शमीम जयपुरी

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शमीम जयपुरी

तिरा जल्वा निहायत दिल-नशीं है

शमीम जयपुरी

रहम ऐ ग़म-ए-जानाँ बात आ गई याँ तक

शमीम जयपुरी

क्यूँ हमें मौत के पैग़ाम दिए जाते हैं

शमीम जयपुरी

रहम ऐ ग़म-ए-जानाँ बात आ गई याँ तक

शमीम जयपुरी

हमारे साथ जिसे मौत से हो प्यार चले

शमीम जयपुरी

ऑडियो 8

जब शिकायत थी कि तूफ़ाँ में सहारा न मिला

जब सुब्ह का मंज़र होता है या चाँदनी-रातें होती हैं

दुनिया-ए-मोहब्बत में हम से हर अपना पराया छूट गया

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