Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

1936 | लखनऊ, भारत

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

ग़ज़ल 11

दोहा 4

आँखें धोका दे गईं पाँव छोड़ गए साथ

सभी सहारे दूर हैं किस का पकड़ें हाथ

  • शेयर कीजिए

एक बगूला साँस का हवा जिसे तैराए

हवा हवा में जा मिले बस माटी रह जाए

  • शेयर कीजिए

बिछड़े हुओं के आज फिर ख़त कुछ ऐसे आए

जैसे पटरी रेल की दूर पे इक हो जाए

  • शेयर कीजिए

भले बुरे बरताव का है इतना सा राज़

गूँजे पलट के जिस तरह गुम्बद की आवाज़

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 2

 

"लखनऊ" के और लेखक

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए