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शौक़ असर रामपुरी

रामपुर, भारत

शौक़ असर रामपुरी

ग़ज़ल 11

अशआर 7

अभी फ़र्क़ है आदमी आदमी में

अभी दूर है आदमी आदमी से

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वो ग़म हो या अलम हो दर्द हो या आलम-ए-वहशत

उसे अपना समझ ज़िंदगी जो तेरे काम आए

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शगुफ़्ता फूल जो देखे तो 'शौक़' याद आया

दिए थे दाग़ भी गुलशन ने बे-शुमार मुझे

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मिरे ख़याल की वुसअत में हैं हज़ार चमन

कहाँ कहाँ से निकालेगी ये बहार मुझे

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बता नसीब-ए-नशेमन मैं क्या दुआ माँगूँ

जो आसमाँ की तरफ़ रौशनी नज़र आए

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