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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Syed Shakeel Desnavi's Photo'

सय्यद शकील दस्नवी

1941 | ओड़ीशा, भारत

सय्यद शकील दस्नवी के शेर

रिश्ता रहा अजीब मिरा ज़िंदगी के साथ

चलता हो जैसे कोई किसी अजनबी के साथ

मौत के खूँ-ख़्वार पंजों में सिसकती है हयात

आज है इंसानियत की हर अदा सहमी हुई

गर्द-ए-सफ़र के साथ था वाबस्ता इंतिज़ार

अब तो कहीं ग़ुबार भी बाक़ी नहीं रहा

उस से बछड़ा तो यूँ लगा जैसे

कोई मुझ में बिखर गया साहब

'शकील' हिज्र के ज़ीनों पे रुक गईं यादें

इसी मक़ाम पर कर ठहर गई शब भी

फिर कोई चोट उभरी दिल में कसक सी जागी

यादों की आज शायद पुर्वाई चल रही है

अहरमन का रक़्स-ए-वहशत हर गली हर मोड़ पर

बरबरिय्यत देख कर है ख़ुद क़ज़ा सहमी हुई

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