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Tahseen Firaqi's Photo'

तहसीन फ़िराक़ी

1950 | लाहौर, पाकिस्तान

अरबी के प्रमुख स्कालर, और आलोचक

अरबी के प्रमुख स्कालर, और आलोचक

तहसीन फ़िराक़ी

अशआर 7

मैं जिन गलियों में पैहम बरसर-ए-गर्दिश रहा हूँ

मैं उन गलियों में इतना ख़ार पहले कब हुआ था

सतह-ए-दरिया का ये सफ़्फ़ाक सुकूँ है धोका

ये तिरी नाव किसी वक़्त डुबो सकता है

मुझ सा अंजान किसी मोड़ पे खो सकता है

हादसा कोई भी इस शहर में हो सकता है

बहार अब के जो गुज़री तो फिर आएगी

बिछड़ने वाले बिछड़ते समय ये कह गए हैं

मैं कहाँ और कहाँ शाएरी मैं ने तो फ़क़त

मज्लिस-ए-शेर बपा की तो तुम्हारे लिए की

ग़ज़ल 7

नज़्म 3

 

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