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उपेन्द्र नाथ अश्क की कहानियाँ
डाची
पी सिकन्दर के मुसलमान जाट बाक़र को अपने माल की तरफ़ हरीसाना निगाहों से ताकते देखकर उकान्हा के घने दरख़्त से पीठ लगाए, नीम ग़ुनूदगी की सी हालत में बैठा चौधरी नंदू अपनी ऊंची घरघराती आवाज़ में ललकार उठा... "रे रे उठे के करे है?" (अरे यहां क्या कर रहा है?) और
ख़ामोश शहीद
यह एक ऐसे किसान की कहानी है, जो फ़सल ख़राब होने की वजह से लगान नहीं दे पाता है। इसके बदले में ज़मीनदार उसके घर की कुर्की करवा लेता है। किसान इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल करता है और अपनी जान गँवा देता है।
सैलाब
यह आज़ादी के दौर के एक ऐसे अख़बार के एडिटर की कहानी है, जो आज़ादी के लिए इन्क़लाबियों की आलोचना करता है और सरकार से इश्तिहार हासिल करता है। एक रोज़ जब उसकी बीवी घर के ऐश-ओ-आराम को छोड़कर आज़ादी की मुहिम में शामिल हो जाती है तो वह भी उसके जोश को देखकर उस मुहिम में सबसे आगे चल पड़ता है।
ये मर्द
यह एक ऐसे मर्द की कहानी है, जो अकेले में तो अपनी पत्नी लक्ष्मी से बहुत प्यार जताता है मगर अपनी माँ के सामने ख़ामोश हो जाता है। उसकी माँ लक्ष्मी पर एक के बाद एक ज़ुल्म करती जाती है। उन ज़ुल्मों को सहते हुए एक दिन लक्ष्मी अस्पताल पहुँच जाती है। अस्पताल में भी उसे चैन नहीं मिलता। उसका शौहर वहाँ आकर उसके सारे गहने ले जाता है और उसके मरने से पहले ही दूसरी शादी कर लेता है।
कोंपल
एक ब्राह्मण लड़की की कहानी है, जो गहनों को अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती है। गहनों के लिए उसके झुकाव को देखते हुए उसका ग़रीब बाप पचास साल के एक अमीर ज्योतिषी से उसकी शादी करा देता है। ज्योतिषी इस उम्मीद में कि वह उससे प्यार करेगी, उसे एक से एक गहने लाकर देता रहता है, मगर लड़की को तो केवल गहनों की चाह थी, ज्योतिषी की नहीं।
मोहब्बत
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो बंगाल में आज़ादी के लिए बनाए गए एक खु़फ़िया संगठन में शामिल हो जाता है। संगठन को जब पैसे की ज़रूरत होती है तो वह अपने दोस्त के साथ मिलकर एक बैंक को लूट लेता है। जब पुलिस उन्हें घेर लेती है तो वह दोस्त उसे छोड़कर भाग जाता है और वह पकड़ा जाता है। इससे उसे पता चलता है कि उसके दोस्त ने उसे धोखा दिया है। जब उसका अपने उस दोस्त से सामना होता है तो उसे पता चलता है कि वह लड़का नहीं, लड़की है, जो उससे मोहब्बत करती है।
ख़ाली डिब्बा
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जिसकी रेल के फ़र्स्ट क्लास कोच में सीट रिज़र्व्ड होती है। लेकिन उस कोच में बहुत भीड़ होती है। तभी उन्हें पता चलता है कि फर्स्ट क्लास का एक कोच ख़ाली जा रहा है। वह जैसे-तैसे करके उस कोच को खुलवाते हैं और उसमें सवार अकेली सवारी को उतार कर बैठ जाते हैं। लेकिन जब उन्हें उस कोच की हक़ीक़त पता चलती है तो वह फिर से पहले वाले कोच में ही सवार हो जाते हैं।
कफ़्फ़ारा
एक ऐसे शख़्स की कहानी है जो आमदनी से ज़्यादा ख़र्च करता है। उसकी बीवी जब उसे फ़िज़ूलख़र्ची से रोकती है तो वह उसे छोड़ देता है। उसके बाद उसकी माली हालत इतनी ख़राब हो जाती है कि वह तांगा चलाने लगता है। एक रोज़ एक सवारी को वह जिस पते पर छोड़ता है वहाँ बीमारी से तड़पती एक जवान औरत भी होती है, जो कोई और नहीं, उसकी बीवी होती है।
मर्द का ऐतेबार
यह कहानी मर्दों के बारे में औरतों की ज़ेहनियत को बयान करती है, जो मर्द के मुँह से तारीफ़ के दो बोल सुनकर ही मुत्मइन हो जाती है। जब उसकी पहली बीवी की मौत हुई थी तो वह रात-दिन चाची के पास बैठकर उसी की तारीफ़ों के पुल बांधता रहता था। मगर कुछ अर्से बाद जब उसकी दूसरी शादी हुई तो वह पहली बीवी को ऐसे भूल गया, जैसे वह कभी थी ही नहीं। अब वह अपनी दूसरी बीवी की तारीफ़ें किया करता था। दूसरी के बाद उसने तीसरी शादी की और तीसरी की तारीफ़ भी ऐसे ही की जैसे वह कभी पहली की किया करता था। चाची उसकी बातें सुनती और अपनी शौहर को कोसती रहती, जिसने कभी भी उसकी तारीफ़ नहीं की थी। जब चाची का इंतिक़ाल हुआ तो चाचा ने दूसरी शादी करने से इंकार कर दिया।
ज़िंदगी का राज़
दो दोस्तों की कहानी, जिसमें नायारण एक शायर है और शिव दयाल उसके शे'रों को अमली जामा पहनाने में यक़ीन रखता है। कारख़ाने में हड़ताल होती है तो मालिक मज़दूरों और पुलिस के बीच दंगा करा देता है। इसके बाद शिव दयाल अपने साथियों के साथ मिलकर मालिक की गाड़ी पर फ़ायरिंग कर देता है। शिव दयाल को पुलिस पकड़ ले जाती है। नारायण जेल में शिव से मिलने जाता है तो वहाँ उन लोगों के बीच कुछ ऐसी बातें होती है कि नारायण भी शायरी छोड़कर हक़ीक़ी दुनिया में उतर जाता है।
लीडर
आज़ादी की मुहिम में शामिल एक ऐसे लीडर की कहानी, जो गाँव-गाँव जाकर खादी का प्रचार करता है। वह लोगों को खादी और स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरिता करता है। मगर जब वह अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए अपने शहर लौटता है तो अपनी बीवी को विदेशी साड़ियाँ पहनने और ख़रीदने से रोकने में नाकाम रहता है।
अम्न का तालिब
यह कहानी समाज में पैदा होने वाली बद-अम्नी और उसके कारणों पर बात करती है। राजा विक्रमजीत एक रात भेष बदल कर राज्य में घूम रहे थे। घूमते हुए वह ग़रीबों की एक बस्ती में जा पहुँचे। वहाँ उनकी मुलाक़ात एक ब्राह्मण से हुई, जो उस वक़्त मज़दूर था। वह उस रूप बदले शख़्स से बस्ती के लोगों के हालात और समाज में फैलने वाली अशांति के कारणों के बारे में बताता है। अगले दिन राजा ने अपना दरबार लगाया और राज्य से अशांति ख़त्म करने के लिए नौ रत्न चुने।
काकड़ां का तेली
यह एक एक ऐसी शख़्स की कहानी है, जो तेल का काम करता है। अपने भाई के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए वह परिवार के साथ लाहौर जा रहा होता है। शादी में ख़र्च के लिए उसने पिछले दो साल में चार रूपये जोड़ रखे हैं। जब उसे लाहौर की महंगाई के बारे में पता चलता है तो वह लारी अड्डे से परिवार को वापस गाँव भेज देता है और अकेला ही लाहौर चला जाता है।
उबाल
एक ऐसे युवा लड़के की कहानी है, जो जवानी की तरफ़ बढ़ रहा है। वह जिस घर में काम करता है, उसके मालिक की हाल ही में शादी हुई है और वह उसे उसकी बीवी के साथ कई बार आपत्तिजनक हालत में देख लेता है। जब भी वह उन्हें ऐसी हालत में देखता है तो उसे अपने जिस्म में एक तरह का उबाल उठता महसूस होता है। एक रात वह शहर में घूमने निकल जाता है और घूमता हुआ एक रंडी के कोठे पर जा पहुँचता है।
टेरेस पर बैठी शाम
यह एक अधेड़ उम्र के प्रोफे़सर की कहानी है, जो थीसिस लिखने के लिए समुंद्र के सामने एक फ़्लैट में रहता है। उस फ़्लैट के आगे एक टेरिस है, जिसका एक रास्ता समुंद्र के किनारे तक जाता है। उस टेरिस पर हर शाम एक लड़की घूमने आती है। उस लड़की को लुभाने के लिए प्रोफे़सर नौजवान लड़कों के साथ कुछ ऐसे करतब करता है कि अपनी गर्दन की हड्डी तुड़वा बैठता है।
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Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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