वजाहत अली संदैलवी के शेर
समझे न वो हमें न उन्हें हम समझ सके
गुज़री है उम्र जैसे किसी अजनबी के साथ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
महसूर ख़ुद हैं अपने सुरों को लिए खड़े
दहशत सी छा गई है सितम की सिपाह में
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड