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वली मोहम्मद वली

1667 - 1707 | गुजरात, भारत

दिल्ली में उर्दू शायरी को स्थापित करने वाले क्लासिकी शायर

दिल्ली में उर्दू शायरी को स्थापित करने वाले क्लासिकी शायर

वली मोहम्मद वली

ग़ज़ल 40

अशआर 26

जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे

उसे ज़िंदगी क्यूँ भारी लगे

चाहता है इस जहाँ में गर बहिश्त

जा तमाशा देख उस रुख़्सार का

याद करना हर घड़ी तुझ यार का

है वज़ीफ़ा मुझ दिल-ए-बीमार का

मुफ़लिसी सब बहार खोती है

मर्द का ए'तिबार खोती है

दिल-ए-उश्शाक़ क्यूँ हो रौशन

जब ख़याल-ए-सनम चराग़ हुआ

पुस्तकें 29

वीडियो 6

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जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे

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जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे

वली मोहम्मद वली

ऑडियो 5

ख़ूब-रू ख़ूब काम करते हैं

जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे

तुझ लब की सिफ़त ला'ल-ए-बदख़्शाँ सूँ कहूँगा

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