तुझ लब की सिफ़त ला'ल-ए-बदख़्शाँ सूँ कहूँगा आबिदा परवीन
शग़्ल बेहतर है इश्क़-बाज़ी का मेहरान अमरोही
सोहबत-ए-ग़ैर मूं जाया न करो पीनाज़ मसानी
जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे इक़बाल बानो
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मलिका पुखराज
जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे मलिका पुखराज
तुझ लब की सिफ़त ला'ल-ए-बदख़्शाँ सूँ कहूँगा आबिदा परवीन
शग़्ल बेहतर है इश्क़-बाज़ी का मेहरान अमरोही
सोहबत-ए-ग़ैर मूं जाया न करो पीनाज़ मसानी
जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे इक़बाल बानो
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