यूसुफ़ ज़फ़र हल्क़ाए अरबाबे ज़ौक़ के संस्थापकों में से थे. उनकी पैदाइश एक दिसम्बर 1914 में कोहे मरी पाकिस्तान में हुई. वतन गुजरांवाला था. रावलपिंडी और लाहौर में शिक्षा प्राप्त की. 1936 में बी.ए. किया.1937 में रोज़गार की तलाश में देहली आ गये. यहाँ जोश मलीहाबादी के रिसाले ‘ कलीम ‘ से सम्बद्ध हो गये. 1938 में वापस लाहौर आ गये और नहर विभाग में क्लर्क के पद पर काम करने लगे. 1942 में रिसाला ‘हुमायूँ’ से जुड़ गये. उन्होंने पाकिस्तान वायुसेना में रिसर्च ऑफिसर के रूप में भी काम किया. 1969 में रेडियो पाकिस्तान में स्क्रिप्ट राइटर के पद पर नियुक्त हुए. यूसुफ़ ज़फ़र तीन बार हल्क़ाए अरबाबे ज़ौक़ के सेक्रेटरी भी चुने गये. 7 मार्च 1972 को रावलपिंडी में उनका देहांत हुआ.
आर्थिक जीवन के इस आपाधापी यूसुफ़ ज़फ़र को बहुत तल्ख़ अनुभवों से गुज़ारा जिनके प्रभाव उनकी शायरी में साफ़ नज़र आते हैं. यूसुफ़ ने ग़ज़लें भी कहीँ और नज़्में भी. उनका शुमार उर्दू में पाबंद नज़्म और आज़ाद नज़्म को स्थापित करने वाले शायरों में किया जाता है.
काव्य संग्रह :ज़िन्दान,ज़हरे ख़न्द , नवाए साज़ , सदा ब सेहरा ,इश्क़े पेचां , हरीमे वतन.