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ज़फ़र अली ख़ाँ के शेर
ज़फ़र अली ख़ाँख़ुदा ने आज तक उस क़ौम की हालत नहीं बदली
न हो जिस को ख़याल आप अपनी हालत के बदलने का
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ज़फ़र अली ख़ाँनाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है
मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्ताँ से है
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टैग : वतन-परस्ती
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बाल-साहित्य1923
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