हैं बज़्म-ए-गुल में बपा नौहा-ख़्वानियाँ क्या क्या ज़हीर काश्मीरी
अब है क्या लाख बदल चश्म-ए-गुरेज़ाँ की तरह ज़हीर काश्मीरी
तू अगर ग़ैर है नज़दीक-ए-रग-ए-जाँ क्यूँ है ज़हीर काश्मीरी
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