ज़ैबुन्निसा बेगम मख़्फ़ी के शेर
आ कर हमारी लाश पे क्या यार कर चले
ख़्वाब-ए-अदम से फ़ित्ने को बेदार कर चले
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कहते हो तुम न घर मिरे आया करे कोई
पर दिल न रह सके तो भला क्या करे कोई
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