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Zia-ul-Haq Qasmi's Photo'

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

पाकिस्तान

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

ग़ज़ल 1

 

अशआर 5

मैं जिसे हीर समझता था वो राँझा निकला

बात निय्यत की नहीं बात है बीनाई की

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मुझे अपनी बीवी पे फ़ख़्र है मुझे अपने साले पे नाज़ है

नहीं दोश दोनों का इस में कुछ मुझे डाँटता कोई और है

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मिरे रोब में तो वो गया मिरे सामने तो वो झुक गया

मुझे लात खा के हुई ख़बर मुझे पीटता कोई और है

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वो भरी बज़्म में कहती है मुझे अंकल-जी

डिप्लोमेसी है ये कैसी मिरी हम-साई की

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सर-ए-बज़्म मुझ को उठा दिया मुझे मार मार लिटा दिया

मुझे मारता कोई और है वले हाँफ्ता कोई और है

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हास्य शायरी 23

पुस्तकें 16

वीडियो 5

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
At a mushaira

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

Hajj Adda Karnay Gaya Tha Qoum Ka Leader Koi

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

Houston Mushaira

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

Shaam E Zia Ul Haq Qasm - Mushairai

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

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Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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