क्लासिकी शायर
सैंकड़ों शायरों का चुनिंदा कलाम
उत्तर-क्लासिकी शायर, ज़ौक़ और ग़ालिब के शिष्य अपने सर्वाधिक लोकप्रिय शेरों के लिए प्रसिद्ध
हैदराबाद से सम्बन्ध रखनेवाले क्लासिकी मिज़ाज के शायर, अपनी रुबाइयों के लिए भी जाने जाते हैं
क्लासिकी शैली और पैटर्न के प्रतिष्ठित शायर,अपनी किताब "सुख़न-ए-शोरा" के लिए मशहूर
मुग़ल बादशाह शाह आलम सानी के उस्ताद, मीर तक़ी मीर के बाद के शायरों के समकालीन
अहम क्लासिकी शायर, उर्दू शायरी के आरंभिक दौर के शायरों में शामिल, आबरू के शागिर्द
अपने नाटक 'इन्द्र सभा' के लिए प्रसिद्ध, अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के समकालीन
उर्दू / हिंदवी के पहले शायर। मशहूर सूफ़ी हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के शागिर्द और संगीतज्ञ। तबला और सितार जैसे साज़ों का अविष्कार किया। अपनी ' पहेलियों ' के लिए प्रसिद्ध जो भारतीय लोक साहित्य का हिस्सा हैं। ' ज़े हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल ' जैसी ग़ज़ल लिखी जो उर्दू / हिंदवी शायरी का पहला नमूना है।
दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।
18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन
हैदराबाद दकन के पुरगो और क़ादिरुलकलाम शायर, जिन्होंने सख़्त और मुश्किल ज़मीनों में शायरी की, रुबाई कहने के लिए भी मशहूर
लखनऊ के अहम क्लासिकी शायर, आतिश के शागिर्द, लखनऊ पर लिखी अपनी लम्बी मसनवी ‘अफ़साना-ए-लखनऊ’ के लिए मशहूर
मुग़ल बादशाह जिन्होंने लाल क़िले और अपने दरबार में उर्दू शायरी का सिलसिला शुरू किया
उर्दू शायरी के निर्माताओं में से एक, मीर तक़ी मीर के समकालीन।
मीर तक़ी ' मीर ' के समकालीन और उनके प्रतिद्वंदी के तौर पर प्रसिद्ध। उन्हे उनके पिता ने क़त्ल किया।
लखनऊ के मुम्ताज़ और नई राह बनाने वाले शायर/मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन
लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर ' रेख़्ती ' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी।
क्लासिकी दौर के यूरोपी मूल के शायर जिनके पिता ने भारतीय जीवनशैली अपना ली थी. ग़ज़लों और दूसरी विधाओं पर आधारित एक दीवान भी प्रकाशित हुआ
सूफ़ी शायर, मीर तक़ी मीर के समकालीन। भारतीय संगीत के गहरे ज्ञान के लिए प्रसिध्द
नासिख़ के शिष्य, मराठा शासक यशवंत राव होलकर और अवध के नवाब ग़ाज़ी हैदर की सेना के सदस्य
अहम क्लासिकी शायर, ग़ालिब की बीवी के भांजे, जिन्हें ग़ालिब ने अपने सात बच्चों के असमय निधन के बाद बेटा बना लिया था. ग़ालिब आरिफ़ की शायरी के प्रशंसकों में भी शामिल थे
अपनी शायरी में महबूब के साथ मामला-बंदी के मज़मून के लिए मशहूर, नौजवानी में नेत्रहीन हो गए
शायरी के अलावा अपनी सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध। कम उम्र में देहांत हुआ
उर्दू के सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल। शायरी में चुस्ती , शोख़ी और मुहावरों के इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध
मीर तक़ी ' मीर ' के समकालीन अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज्में लिखीं। होली , दीवाली , श्रीकृष्ण पर नज़्मों के लिए मशहूर
19वीं सदी में लखनऊ के अग्रणी शायरों में से एक, प्रख्यात मसनवी गुलज़ार-ए-नसीम के रचयिता