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महात्मा गांधी पर 20 मशहूर नज़्में

महात्मा गांधी ऐसा नाम

है जिसने कवियों और लेखकों पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। भारत के राष्ट्रपिता जिन्हें हम प्यार से बापू कहते हैं, भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन और अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों की बदौलत उर्दू कवियों पर भी गहरा असर छोड़ने में सफ़ल रहे हैं। महात्मा गांधी के सिद्धांतों और उनके उपदेशों का प्रवाह उर्दू शायरी में किस प्रकार है इसका अंदाज़ा आप नीचे दी गई कविताओं से लगा सकते हैं।

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सानेहा

दर्द-ओ-ग़म-ए-हयात का दरमाँ चला गया

असरार-उल-हक़ मजाज़

महात्मा-गाँधी का क़त्ल

मशरिक़ का दिया गुल होता है मग़रिब पे सियाही छाती है

आनंद नारायण मुल्ला

'गाँधी-जी' की याद में!

वही है शोर-ए-हाए-ओ-हू, वही हुजूम-ए-मर्द-ओ-ज़न

जिगर मुरादाबादी

आह गाँधी

तिरे मातम में शामिल हैं ज़मीन ओ आसमाँ वाले

नज़ीर बनारसी

महात्मा-ग़ाँधी

शब-ए-एशिया के अँधेरे में सर-ए-राह जिस की थी रौशनी

नुशूर वाहिदी

गाँधी जी

सच्ची बात हमेशा कहना

सय्यदा फ़रहत

महात्मा-गाँधी

सुना रहा हूँ तुम्हें दास्तान गाँधी की

बिस्मिल इलाहाबादी

गाँधी-जयंती पर

उठी चारों तरफ़ से जब कि ज़ुल्म-ओ-जब्र की आँधी

कँवल डिबाइवी

गाँधी जी

राहबर देश-भगती का वो

अबरार किरतपुरी

गाँधी जी

वक़ार-ए-मादर-ए-हिन्दोस्ताँ थे गाँधी जी

कैफ़ अहमद सिद्दीकी

बाबा गाँधी

स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने

आफ़ताब रईस पानीपती

गाँधी

वो हदीस-ए-रूह पयाम-ए-जाँ जिसे हम ने सुन के भुला दिया

इक़बाल सुहैल

गाँधी

एक फ़क़ीर

साहिर होशियारपुरी

गाँधी-जी की आवाज़

सलाम ऐ उफ़ुक़-ए-हिन्द के हसीं तारो

नाज़िश प्रतापगढ़ी

महात्मा-ग़ाँधी

मुसाफ़िर-ए-अबदी की नहीं कोई मंज़िल

रविश सिद्दीक़ी

गाँधी-जयंती

भूल गई है आज तो रहबर-ए-हक़-निगाह को

अर्श मलसियानी

ज़िक्र-ए-गाँधी

एक-आध साल से है फ़ज़ा मुल्क की कुछ और

आदिल जाफ़री

गाँधी

शहीदों का सरताज जन्नत-मक़ाम

अर्श मलसियानी

गाँधी जी की शहादत पर ख़िराज-ए-अक़ीदत

रौशनी बह गई चाँदनी ढल गई

साग़र निज़ामी

महात्मा-गाँधी

बापू ने हर इंसान को इंसाँ समझा

चरख़ चिन्योटी

गाँधी के बा'द

बा'द गाँधी के न सुन हम ने समाँ देखा क्या

इज़हार मलीहाबादी

बापू

बच्चो तुम ने बापू की तस्वीर तो देखी होगी

अताउर्रहमान तारिक़

हाए बापू तिरी दुहाई है

ख़ू-ए-आज़ाद जिस ने पाई है

कँवल डिबाइवी

बापू

शोहरत है तेरी बापू हर सू मिरे वतन में

मसूदा हयात

गाँधी

आग़ोश में फूलों की थिरकता हुआ शो'ला

हुरमतुल इकराम

गाँधी जी अब भी कहते हैं

तितली

सदफ़ जाफ़री

गाँधी

ऐ रहनुमा-ए-हिन्द ऐ ख़िदमत-गुज़ार-ए-क़ौम

धर्मपाल आक़िल

महात्मा गाँधी

मक़ाम-ए-अज़्मत-ए-इंसाँ को तू ने फ़ाश किया

अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी

गाँधी जी की याद में

सुलूक-ए-नारवा-ए-दार-ए-फ़ानी देखते जाओ

फ़ज़ल हक़ अज़ीमाबादी

गाँधी-जी

निगाह-ए-शौक़ में जल्वे जो तेरे आते हैं

राम लाल वर्मा हिंदी

महात्मा गाँधी

ऐ फ़क़ीर-ए-नीम-उर्यां ऐ वतन के पासबाँ

साबिर अबुहरी
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