अल्लाह-रे फ़र्त-ए-शौक़-ए-असीरी की शौक़ में
पहरों उठा उठा के सलासिल को देखना
अनवर देहलवी, सय्यद शुजाउद्दीन, उमराव मिर्ज़ा (1847-1885) मिर्ज़ा ग़ालिब, ‘जौक़’ और ‘मोमिन’ के बा’द के देहलवी शाइ’रों में शामिल प्रमुख शाइ’र और ‘ज़हीर’ देहलवी के छोटे भाई। पहले ‘ज़ौक़’ और फिर ग़ालिब के शागिर्द रहे। 1857 की तबाही में लुटपिट कर राजा जयपुर का दामन थामा और वहीं आख़िरी साँस ली।