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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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हफ़ीज़ मेरठी

1922 - 2000 | मेरठ, भारत

लोकप्रिय शायर, अपने शेर 'शीशा टूटे ग़ुल मच जाए…' के लिए मशहूर।

लोकप्रिय शायर, अपने शेर 'शीशा टूटे ग़ुल मच जाए…' के लिए मशहूर।

हफ़ीज़ मेरठी

ग़ज़ल 15

अशआर 20

अब खुल के कहो बात तो कुछ बात बनेगी

ये दौर-ए-इशारात-ओ-किनायात नहीं है

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बद-तर है मौत से भी ग़ुलामी की ज़िंदगी

मर जाइयो मगर ये गवारा कीजियो

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मय-ख़ाने की सम्त देखो

जाने कौन नज़र जाए

रंग आँखों के लिए बू है दिमाग़ों के लिए

फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है

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रसा हों या हों नाले ये नालों का मुक़द्दर है

'हफ़ीज़' आँसू बहा कर जी तो हल्का कर लिया मैं ने

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पुस्तकें 9

 

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 3

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

हफ़ीज़ मेरठी

At a mushaira

हफ़ीज़ मेरठी

Bade adab se gharoor e sitamgaraan bola

हफ़ीज़ मेरठी

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