हम को अक्सर ये ख़याल आता है उस को देख कर
ये सितारा कैसे ग़लती से ज़मीं पर रह गया
इम्तियाज़ ख़ान 20 मई 1989 को मेवात, हरियाणा में पैदा हुए, आरंभिक शिक्षा अपने पैतृक स्थान से ही हासिल की, इसके बाद आपने कंप्यूटर साईंस इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। आजकल आप दिल्ली मेट्रो कारपोरेशन में बतौर इंजीनियर अपनी सेवाएं दे रहे हैं और दिल्ली में ही रहते हैं।
शिक्षा के दौरान ही दिल्ली की अदबी फ़िज़ा ने आपकी साहित्यिक रूचि को पोषित किया और मश्क़-ए-सुख़न की जानिब मुतवज्जा किया। जहां तक शायरी का ताल्लुक़ है आपकी शायरी में कल्पना का विस्तार भी है और शब्दों की तकनीकों का कलात्मक इस्तिमाल भी। आपके अशआर में कुछ ख़्यालात में इतनी गहराई-ओ-गेराई होती है कि उन अशआर की माअनवियत के दरीचे हर बार पढ़ने पर मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में खुलते हैं। आपने सिन्फ़-ए-ग़ज़ल और नज़्म दोनों को विचार के संप्रेषण का ज़रिया बनाया है। आप ख़ुशअख़लाक़ और ख़ुश तबीयत शख़्स होने के साथ साथ निहायत संवेदनशील भी हैं और इस संवेदनशीलता का इज़हार आपकी शायरी में जगह जगह स्पष्ट रूप से नज़र आता है।