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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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इशरत आफ़रीं

ग़ज़ल 40

नज़्म 38

अशआर 13

अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है

पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है

ख़्वाहिशें दिल में मचल कर यूँही सो जाती हैं

जैसे अँगनाई में रोता हुआ बच्चा कोई

या मुझे तेरी हथेली बूझे

या कोई शोख़ सहेली बूझे

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वो जिस ने अश्कों से हार नहीं मानी

किस ख़ामोशी से दरिया में डूब गई

शाम को तेरा हँस कर मिलना

दिन भर की उजरत होती है

पुस्तकें 2

 

वीडियो 9

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

इशरत आफ़रीं

इशरत आफ़रीं

इशरत आफ़रीं

इशरत आफ़रीं

इशरत आफ़रीं

इशरत आफ़रीं

इशरत आफ़रीं

Ishrat Afreen in Jashn e Nida Fazli 2010

इशरत आफ़रीं

ख़ुश्बू संदल और न गहना दुख देगा

इशरत आफ़रीं

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