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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Malikzaada Manzoor Ahmad's Photo'

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

1929 - 2016 | लखनऊ, भारत

उर्दू के प्रमुख साहित्यिक व्यक्तित्व/मुशायरों के स्तरीय संचालन के लिए प्रसिद्ध

उर्दू के प्रमुख साहित्यिक व्यक्तित्व/मुशायरों के स्तरीय संचालन के लिए प्रसिद्ध

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद के ऑडियो

ग़ज़ल

कुछ ग़म-ए-जानाँ कुछ ग़म-ए-दौराँ दोनों मेरी ज़ात के नाम

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

ज़िंदगी में पहले इतनी तो परेशानी न थी

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

तर्क-ए-मोहब्बत अपनी ख़ता हो ऐसा भी हो सकता है

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

न ख़ौफ़-ए-बर्क़ न ख़ौफ़-ए-शरर लगे है मुझे

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

'मंज़ूर' लहू की बूँद कोई अब तक न मिरी बेकार गिरी

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

मामूल पे साहिल रहता है फ़ितरत पे समुंदर होता है

मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

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