मालिकज़ादा जावेद
ग़ज़ल 35
अशआर 5
कम-उम्री में सुनते हैं
मर जाते हैं अच्छे लोग
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जल गए फिर से कुछ हसीं रिश्ते
तंज़िया गुफ़्तुगू की भट्टी में
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ज़िंदगी एक कहानी के सिवा कुछ भी नहीं
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
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मियाँ उस शख़्स से होशियार रहना
सभी से झुक के जो मिलता बहुत है
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