राजेश रेड्डी
ग़ज़ल 35
अशआर 39
किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यूँ नहीं होता
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यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है
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जितनी बटनी थी बट चुकी ये ज़मीं
अब तो बस आसमान बाक़ी है
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मिरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है
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चित्र शायरी 6
वीडियो 18
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