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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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शीन काफ़ निज़ाम

1947

महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक शायर, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक शायर, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

शीन काफ़ निज़ाम के दोहे

याद आई परदेस में उस की इक इक बात

घर का दिन ही दिन मियाँ घर की रात ही रात

हम 'कबीर' इस काल के खड़े हैं ख़ाली हाथ

संग किसी के हम नहीं और हम सब के साथ

मन रफ़्तार से भागता जाता है किस ओर

पलक झपकते शाम है पलक झपकते भोर

मन में धरती सी ललक आँखों में आकाश

याद के आँगन में रहा चेहरे का प्रकाश

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