अभी इस राह से कोई गया है
कहे देती है शोख़ी नक़्श-ए-पा की
तस्कीन देहलवी, मीर हुसैन(1803-1852)प्रमुख देहलवी शाइ’र जो पहले शाह ‘नसीर’ और फिर ‘मोमिन’ के शागिर्द रहे। रोज़गार की तलाश में लखनऊ और मेरठ में रहे, फिर रामपुर पहुँचे और वहीं के हो रहे। उनका दीवान तो उपलब्ध नहीं, बस ग़ज़लों का एक संग्रह मौजूद है।