तुफ़ैल चतुर्वेदी
ग़ज़ल 5
अशआर 10
हम बुज़ुर्गों की रिवायत से जुड़े हैं भाई
नेकियाँ कर के कभी फल नहीं माँगा करते
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere