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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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ज़फ़र गोरखपुरी

1935 - 2017 | मुंबई, भारत

अग्रणी प्रगतिशील शायर।

अग्रणी प्रगतिशील शायर।

ज़फ़र गोरखपुरी के वीडियो

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Masiha ungliyaan teri

ज़फ़र गोरखपुरी

मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए

ज़फ़र गोरखपुरी

मिरा क़लम मिरे जज़्बात माँगने वाले

ज़फ़र गोरखपुरी

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Ab ke saal poonam mein

Ab ke saal poonam mein मेहदी हसन

Chalta phirta Taj Mahal

Chalta phirta Taj Mahal पंकज उदास

Ek taraf uska ghar ek taraf maikada

Ek taraf uska ghar ek taraf maikada पंकज उदास

Fasle gul hai sajaa hai maikhana

Fasle gul hai sajaa hai maikhana नुसरत फ़तह अली ख़ान

Iraada ho atal to maujzaa aisa bhi hota hai

Iraada ho atal to maujzaa aisa bhi hota hai अज्ञात

Jab meri yaad sataae mujhe khat likhna

Jab meri yaad sataae mujhe khat likhna अज्ञात

Jism chhooti hai jab aa aa ke pawan baarish mein

Jism chhooti hai jab aa aa ke pawan baarish mein अज्ञात

Mahol bemazaa hai tere pyar ke baghair

Mahol bemazaa hai tere pyar ke baghair पंकज उदास

Main aisa khoobsoorat rang hoon

Main aisa khoobsoorat rang hoon अज्ञात

Mere baad kidhar jaaegi tanhaee

Mere baad kidhar jaaegi tanhaee अज्ञात

Mile kisi se nazar to samjho ghazal hui

Mile kisi se nazar to samjho ghazal hui अज्ञात

Mujhe maut di ke hayaat di

Mujhe maut di ke hayaat di अज्ञात

Pathar kaha gaya kabhi sheesha kaha gaha

Pathar kaha gaya kabhi sheesha kaha gaha पंकज उदास

इश्क़ में क्या क्या मेरे जुनूँ की की न बुराई लोगो ने

इश्क़ में क्या क्या मेरे जुनूँ की की न बुराई लोगो ने मुन्नी बेगम

अश्क-ए-ग़म आँख से बाहर भी नहीं आने का

अश्क-ए-ग़म आँख से बाहर भी नहीं आने का अज्ञात

कौन याद आया ये महकारें कहाँ से आ गईं

कौन याद आया ये महकारें कहाँ से आ गईं अज्ञात

जब इतनी जाँ से मोहब्बत बढ़ा के रक्खी थी

जब इतनी जाँ से मोहब्बत बढ़ा के रक्खी थी अज्ञात

जो अपनी है वो ख़ाक-ए-दिल-नशीं ही काम आएगी

जो अपनी है वो ख़ाक-ए-दिल-नशीं ही काम आएगी अज्ञात

दिन को भी इतना अंधेरा है मिरे कमरे में

दिन को भी इतना अंधेरा है मिरे कमरे में अज्ञात

दिन को भी इतना अंधेरा है मिरे कमरे में

दिन को भी इतना अंधेरा है मिरे कमरे में पंकज उदास

दिन को भी इतना अंधेरा है मिरे कमरे में

दिन को भी इतना अंधेरा है मिरे कमरे में पंकज उदास

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा अज्ञात

बदन कजला गया तो दिल की ताबानी से निकलूँगा

बदन कजला गया तो दिल की ताबानी से निकलूँगा अज्ञात

सिलसिले के बाद कोई सिलसिला रौशन करें

सिलसिले के बाद कोई सिलसिला रौशन करें अज्ञात

शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

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