तिश्ना-कामों को यहाँ कौन सुबू देता है
तिश्ना-कामों को यहाँ कौन सुबू देता है
गुल को भी हाथ लगाओ तो लहू देता है
नेश्तर और सही कार-ए-दिगर और सही
दिल-ए-सद-चाक अगर इज़्न-ए-रफ़ू देता है
ताब-ए-फ़रियाद भी दे लज़्ज़त-ए-बेदाद भी दे
देने वाले जो मुझे सोज़-ए-गुलू देता है
हम तो बर्बाद हुए बर्ग-ए-ख़िज़ाँ की सूरत
शाख़-ए-गुल कौन तुझे ज़ौक़-ए-नुमू देता है
मुनसिफ़ो हाथ से अब दशना-ओ-ख़ंजर रख दो
क्या बुरा है अगर इंसाफ़ अदू देता है
ऐ ख़ुदावंद मिरे शेर की क़ीमत क्या है
एक रोटी का निवाला जिसे तू देता है
- पुस्तक : Quarterly Urdu International (पृष्ठ 115)
- रचनाकार : Ashfaq Hussain
- प्रकाशन : 80, Richmond Street West, Suite 201, Toronto, Ontario Canada M5H 2A4 (May, July 1983 Issue-2)
- संस्करण : May, July 1983 Issue-2
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