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महाराष्ट्र के शायर और अदीब

कुल: 750

प्रमुख फि़ल्म निर्माता और निर्देशक, फि़ल्म गीतकार और कहानीकार/मिर्ज़ा ग़ालिब पर टीवी सीरियल के लिए प्रसिद्ध/साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त

मंटो के समकालिक, प्रगतिशील आंदोलन से सम्बद्ध प्रसिद्ध अफ़साना निगार, रूमानी और यथार्थवादी कहानियां लिखने के लिए मशहूर.

सूफ़ी शायर, जिनकी मशहूर ग़ज़ल ' ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ ' बहुत गाई गई है

दिल्ली में उर्दू शायरी को स्थापित करने वाले क्लासिकी शायर

आधुनिक उर्दू नज़्म के संस्थापकों में शामिल। अग्रणी फ़िल्म-संवाद लेखक जिन्होंने सौ से भी अधिक फ़िल्मों के संवाद लिखे। फ़िल्म 'वक़्त' के लिए उनका संवाद "जिनके अपने घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते" आज भी ज़बान पर है।

अग्रणी प्रगतिशील शायरों में शामिल/आलोचक, बुद्धिजीवी और साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ़्तुगू’ के संपादक/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित/उर्दू शायरों पर टीवी सीरियलों के निर्माता

महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर और फ़िल्म गीतकार। फ़िल्म गीतकार जावेद अख़्तर के पिता

लोकप्रिय प्रमुख प्रगतिशील शायर और फि़ल्म गीतकार/हीर राँझा और काग़ज़ के फूल के गीतों के लिए प्रसिद्ध

एक क्लासिकी शायरा, मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा सौदा की समकालीन

भारत के सबसे प्रमुख प्रगतिशील ग़ज़ल-शायर/प्रमुख फि़ल्म गीतकार/दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित

जदीद उर्दू नज़्म के बुनियाद-साज़ों में शामिल, हिन्दुस्तानी मा-बादत्तबीआती रिवायत के साथ अपनी रुहानी वाबस्तगी के लिए मशहूर, कम-उम्री में इंतिक़ाल हुआ

मुकेश

1923 - 1976

महत्वपूर्ण आधुनिक शायर और फ़िल्म गीतकार। अपनी ग़ज़ल ' कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ' के लिए प्रसिद्ध

अपनी ग़ज़ल "दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है" , के लिए प्रसिद्ध

प्रख्यात प्रगतिशील भारतीय शायर व फ़िल्मी गीतकार/ सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक असमानता के विरुद्ध नज़्मों और गीतों के लिए प्रसिद्ध

मशहूर गीतकार और शायर

प्रसिद्ध फ़िल्म गीतकार और शायर

अग्रणी आधुनिक शायरों और आलोचकों में विख्यात।

मुम्बई के प्रख्यात आधुनिक शायर, संजीदा शायरी पसंद करने वालों में लोकप्रिय।

एक बहुत प्रतिभाशाली उर्दू शायर, अपने अनूठे अंदाज़ और गहरी साहित्यिक समझ के लिए जाने जाते हैं

शायर और गीतकार

प्रमुखतम प्रगतीशील शायरों में शामिल / अपनी भावनात्मक तीक्षणता के लिए विख्यात

पंजाबी भाषा के प्रमुख नाटककार, उपन्यासकार और अफ़्साना-निगार

प्रमुख आलोचक, अपनी बेबाकी और परम्परा-विरोध के लिए विख्यात

प्रतिष्ठित प्रगतिशील शायर,आलोचक,पटकथा लेखक,और गीतकार/ फ़िल्म 'बाजार' के गीत 'करोगे याद तो हर बात याद आएगी' के लिए प्रसिद्ध

प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रकार और शयार जिन्होंने "शायर" जैसी साहित्यिक पत्रिका का संपादन किया

प्रतिष्ठित आधुनिक आलोचक

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