अमरोहा के शायर और अदीब
कुल: 80
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
18वीं सदी के बड़े शायरों में शामिल, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।
अज़ीज़ वारसी
बज़्म अंसारी
कफ़ील आज़र अमरोहवी
फ़िल्म गीतकार, अपनी नज़्म 'बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी' के लिए प्रसिद्ध, जिसे जगजीत सिंह ने आवाज़ दी थी।
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
भारतीय इतिहासकार, धार्मिक विद्वान और कूटनीतिज्ञ
नश्तर अमरोहवी
रईस अमरोहवी
ज़ुबैर रिज़वी
प्रमुखतम आधुनिक शायरों में विख्यात/अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘ज़ह्न-ए-जदीद’ के लिए प्रसिद्ध
दिवाकर राही
प्रसिद्ध शायर, लोकप्रिय शे’र ‘अब तो इतनीभी मयस्सर नहीं मयखाने में - जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में’ के रचयिता
जावेद अकरम फ़ारूक़ी
महशर अमरोहवी
नसीम अमरोहवी
रज़ा अमरोहवी
सयय्द महमूद हसन क़ैसर अमरोही
आफ़ताब रिज़वी
अक़ील दानिश
जमाल हसनपुरी
मुबश्शिर समद ग़ौरी
रफ़ी सिरसीवी
साहिल फ़ारूक़ी अमरोहवी
साहिर अब्बासी
सिराज नक़्वी
- जन्म : अमरोहा
- निवास : ग़ाज़ियाबाद
सय्यद शीबान क़ादरी
ज़ुहेब अमरोहवी
अकरम फ़ारूक़ी
अन्दाज़ अमरोहवी
अनीस अमरोहवी
अज़ीम अमरोहवी
अज़ीमुश्शान सिद्दीक़ी
बृजेस तलअत निज़ामी
- जन्म : अमरोहा
- निवास : वाशिंगटन डी सी
- निधन : वाशिंगटन डी सी
फ़राज़ हसनपूरी
ग़ुलाम हैदर
हबीब अमरोहवी
हामिद अमरोहवी
- जन्म : अमरोहा