aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मज्ज़ूब, ख़्वाजा अज़ीजुल-हसन ग़ौरी (1884-1944) क़लन्दर-स्वभाव के थे। जालौन (उत्तर प्रदेश) में पैदा हुए। वकालत की तालीम हासिल की मगर वकालत कभी नहीं की। कई सरकारी नौकरियाँ कीं मगर न कभी अंग्रेज़ों के लिबास पहने, न उन जैसा बनने की कोशिश की। मोहब्बत से शराबोर शाइ’री की जो लौकिक भी है, अलौकिक भी।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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