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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : विनायक परशाद तालिब बनारसी

प्रकाशक : अननोन आर्गेनाइजेशन

मूल : कोलकाता, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1884

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : धर्म-शास्त्र

उप श्रेणियां : हिन्दू-मत

पृष्ठ : 76

सहयोगी : रेख़्ता

natak nal damanti
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पुस्तक: परिचय

फैज़ी ने निज़ामी के ख़म्सा की अनुकृति में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक मसनवी "नल व दमन" रची, जिसमें उन्होंने संस्कृत की एक प्राचीन धार्मिक कहानी को हिंदी ताने-बाने में ढालकर फारसी साहित्य में एक नया रंग दिया। नल और दमयंती की कहानी महाभारत के पात्र नल और दमयंती के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें प्रेम, धैर्य, वफ़ा के महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है। फैज़ी ने इस कहानी को अपनी कविता में बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया और उसकी गहराई को फारसी में संप्रेषित किया। इस कहानी का संदेश न केवल मानवीय भावनाओं की नज़ाकत को उजागर करता है, बल्कि पवित्रता के महत्व पर भी जोर देता है, जो आज भी पाठकों के लिए एक मार्गदर्शन का काम करता है। नल और दमयंती का प्रेम एक प्रतीकात्मक स्तर पर धैर्य, संकल्प और वफ़ा की कहानी है, जिसे फैज़ी ने साहित्य में एक महत्वपूर्ण धार्मिक संदेश के रूप में प्रस्तुत किया। इस मसनवी पर आधारित नाटक बिनायक प्रसाद तालिब बनारसी ने 1884 में तैयार किया, जो न केवल इस कहानी के नैतिक और धार्मिक महत्व को उजागर करता है, बल्कि इसके साहित्यिक सौंदर्य और भाषा की गहराई को भी प्रमुख बनाता है।

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