aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
अब्दुल मजीद खां हैरत 1901 को शिमला में पैदा हुए. अलीगढ़ से शिक्षा प्राप्त की. विद्यार्थी जीवन में ख़िलाफ़त आंदोलन से वैचारिक रूप से सम्बद्ध रहे. आंदोलन से सक्रिय रूप से उनकी सम्बद्धता को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें वापस शिमला बुला लिया और हैरत की शिक्षा अधूरी रह गयी. छोटी-छोटी नौकरियां कर ज़िन्दगी बसर की.
हैरत ने सिर्फ़ ग़ज़लें कहीँ. उनकी ग़ज़लें क्लासिकी रचाव के साथ नये दौर की उथल-पुथल के गहरे एहसास की वाहक हैं.
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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