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jis ke hote hue hote the zamāne mere
शिफ़ा ग्वालियारी 26 अगस्त 1912 को ग्वालियर में पैदा हुए. सैयद मुहम्मद हसन नाम था. उनके पिता अयुज़ अली माहिर हकीम थे. इसलिए शिफ़ा ने भी विभिन्न प्राच्य विषयों के अध्ययन के बाद चिकित्साशास्त्र का अध्ययन किया और चिकित्सा विभाग में नौकरी करली. 1947 में भोपाल चले गये और अपना निजी दवाखाना स्थापित किया. शिफ़ा छात्रजीवन से ही शे’र कहने लगे थे. सीमाब अकबराबादी से त्रुटियाँ ठीक कराईं. 23 जुलाई 1968 को भोपाल में देहांत हुआ.
शिफ़ा की कृतियों के नाम ये हैं: ‘आयाते शिफ़ा,’ ‘नब्ज़-ए-हयात,’ ‘शान-ए-ज़ैतून,’ ‘रगे हयात,’ ‘ज़ख्म-ए-गुल.’
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