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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : जावेद सबा

प्रकाशक : साउथ एशिया ई-लिट्रेरी फोरम

मूल : कराची, पाकिस्तान

प्रकाशन वर्ष : 2024

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : ग़ज़ल

पृष्ठ : 208

सहयोगी : जावेद सबा

abhi tanhai na mukammal hai
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लेखक: परिचय

जावेद सबा 3 मई 1958 को कराची में पैदा हुए। उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित साहित्यिक रचनाओं में "आलम मेरे दिल का" (1989), "कोई देख न ले" (2012), और "आलमी उर्दू काॅफ़्रेंस" (2008 में कराची आर्ट्स काउंसिल में आयोजित कार्यक्रम के बारे में एक संकलन) शामिल हैं। वे एक प्रसिद्ध कवि, पत्रकार, लेखक, नाटककार और सदाकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने बलूचिस्तान विश्वविद्यालय से जियोलाॅजी में मास्टर डिग्री प्राप्त की। बाद में, वह बलूचिस्तान के सबसे बड़े समाचार पत्र 'रोज़नामा इंतिख़ाब' में संपादकीय पृष्ठ के प्रभारी के रूप में भी काम करते रहे। 
उनकी अधिकांश गज़लें उनकी तन्हाई को व्यक्त करती हैं। अपनी शायरी में तन्हाई को जिस गंभीरता से जावेद सबा ने प्रस्तुत किया है, वह बेहद देखने लायक़ है। जावेद सबा अत्यंत कम शेर कहने वाले कवि हैं। वे एक शिक्षित व्यक्ति हैं। वे गंभीर और शिष्ट साहित्यिक ग़ज़लें लिखते हैं और बेहद हस्सास शायर हैं।

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