aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
“अबुल ज़फ़ल” या “मकातीब-ए-अबुल फ़ज़ल” शैख़ अबुल फ़ज़ल बिन शैख़ मुबारक नागोरी के लिखे गए पत्रों का संग्रह है जो उसने अलग-अलग समय में आवश्यकतानुसार तहरीर किए, यह पत्र बादशाहों से लेकर अवाम तक के लिए लिखे गए , इन पत्रों की अहमियत इस लिए दूसरे मकतूबात से अधिक है क्यों कि इस में इतिहास के बहुत से पन्ने पोशीदा हैं और जाबजा इंशा-परदाज़ी के बेहतरीन नमूने नज़र आते है। नवलकिशोर प्रकाशन लखनऊ ने इस के तीनों भागों को एक साथ 1871 ईसवी में प्रकाशित किया था। अल्लामी फ़ह्हामी शैख़ अबुल फ़ज़ल (1551-1602) अकबरी दरबार का अहमतरीन स्तम्भ,बादशाह का मिज़ाज फ़हम, उस के निर्णयों में शामिल, एक बेहतरीन सलाहकार और नवीनीकरण गतिविधियों में उसे प्रोत्साहित करने वाला एक बुद्धिमान और दानां-ओ- मुदब्बिर शख्स था, इस के अतिरिक्त भारत का एक बड़ा इतिहासकार और इंशा-पर्दाज़ भी था।
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