aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
आसी गाज़ीपुरी का शुमार उर्दू के मशहूर शायरों में होता है. उनकी पैदाइश 21 दिसम्बर 1834 को सिकंदरपुर ज़िला बलिया (उ.प्र.) में हुई. नाम मुहम्मद अब्दुल अलीम था. पहले आ’सी तख़ल्लुस अपनाया फिर आसी. आरम्भिक शिक्षा अपने नाना से प्राप्त की फिर जौनपुर चले गये और मौलाना अब्दुलहलीम फ़िरंगीमहली से न्यायशास्त्र और विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की. आसी एक माहिर हकीम भी थे. उन्होंने ने हकीमी की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की थी बल्कि अपनी रूचि और व्यक्तिगत अध्ययन से इस विद्या में महारत हासिल की. विद्यार्थी जीवन से ही शेर व सुखन में दिलचस्पी थी. नासिख़ के शागिर्द अफ़ज़ल इलाहाबादी से मशविरा लिया. आसी का दीवान “ऐनुल मुआरिफ़ “ के नाम से प्रकाशित हुआ. 24 जनवरी 1917 को गाज़ीपुर में देहांत हुआ.
आसी की शायरी सुफ़ियाना विचार का रचनात्मक वर्णन है. आसी के बारे में कहा जाता है कि मीर दर्द के बाद तसौवुफ़ के विषयों को शायरी में बरतने वाले वह सबसे कामयाब शायर हैं.
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