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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक: परिचय

अलम मुज़फ़्फ़र नगरी, मोहम्मद इस्हाक़ (1901-1969) रूमानी-रहस्यवादी ग़ज़ल के प्रमुख शाइरों में शामिल। उर्दू, फ़ारसी, अरबी और संस्कृत जानते थे। ज्योतिष में गहरी महारत थी। ‘आहंग-ए-सरमदी  के नाम से गीता का उर्दू अनुवाद किया। ‘सीमाब’अकराबादी के शागिर्द थे।

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