Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मीर शेर अली अफ़्सोस

संपादक : कल्ब अली ख़ाँ फ़ाएक़

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : मज्लिस-ए-तरक़्क़ी-ए-अदब, लाहौर

मूल : लाहौर, पाकिस्तान

प्रकाशन वर्ष : 1963

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : भूगोल / ज्योग्राफी, अनुवाद

उप श्रेणियां : इतिहास

पृष्ठ : 610

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

araish-e-mahfil
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

पुस्तक: परिचय

آرائش محفل نام سے دو کتابیں مشہور ہیں۔ آرائش محفل (قصہ حاتم طائی) جس میں حاتم طائی کا قصہ ہے جو پہلے فارسی زبان میں تھا اور جسے سید حیدر بخش حیدری نے 1802ء میں گلکرسٹ کی فرمائش پر فورٹ ولیم کالج کے لیے اردو میں منتقل کیا۔ دوسری آرائش محفل ایک مستند کتاب خلاصۃ التواریخ مرتبہ منشی سجان رائے بٹالوی کا اردو ترجمہ ہے جو میر شیر علی افسوس نے مسٹر جے ایک مارنگٹن کے ایما سے 1805ء میں کیا۔ ہندوستان کی جغرافیائی حالات کے علاوہ فتح اسلام تک ہندو راجاؤں کے حالات ہیں۔ اس کی پہلی اشاعت 1808ء میں کلکتے سے ہوئی۔ زیر نطر دوسری آرائش محفل ہے۔ جسے کلب علی خان فائق نے میر افسوس کی سوانح کے ساتھ ترتیب دیا ہے۔

.....और पढ़िए

लेखक: परिचय

फ़ोर्ट विलियम कॉलेज के नामचीन लेखकों में एक नाम मीर शेर अली अफ़सोस का है। कलकत्ता पहुँचने से पहले ही वो शायर व लेखक के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे।
मीर शेर अली नाम, अफ़सोस तख़ल्लुस। मीर क़ासिम के तोपख़ाना के दारोगा मीर मुज़फ़्फ़र अली ख़ान के बेटे थे। सन्1746 के लगभग पैदा हुए। लखनऊ प्रवास ने शायरी का शौक़ पैदा कर दिया। अफ़सोस तख़ल्लुस इख़्तियार किया और मीर हैदर अली हैरान से कलाम की अशुद्धियां ठीक कराने लगे। मीर, सौदा, मीर हसन, मुसहफ़ी, इंशा और जुर्रत जैसे शायरों की महफ़िलें देखीं और बड़े बड़े शायरों के साथ लखनऊ के मुशायरों में शिरकत की। 

लखनऊ के एक रईस और नवाब आसिफ़ उद्दौला के नायब नवाब रज़ा ख़ां के ज़रिए कर्नल इस्काट से मुलाक़ात हुई। उन्हें अफ़सोस की शैक्षणिक क्षमता का अंदाज़ा हुआ तो पांच सौ रुपया राह ख़र्च देकर फोर्ट विलियम कॉलेज कलकत्ता भेज दिया। वहाँ मुंशियों में मुलाज़िम हो गए।

अफ़सोस ने “गुलिस्तान-ए-सादी” का अनुवाद “बाग़-ए-उर्दू” के नाम से किया। यह किताब इसलिए अधिक लोकप्रिय नहीं हो सकी कि ज़्यादा फ़ारसी युक्त है। उनकी दूसरी किताब “खुलासा-तुल-तवारीख़” है जो मुंशी सुबहान राय की फ़ारसी किताब का अनुवाद है।
अफ़सोस का 1809ई. में निधन हुआ। 

.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए