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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक : ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब

संस्करण संख्या : 004

प्रकाशक : मकतबा तालिफ़ात अशरफ़िया, मुज़फ़्फ़रनगर

मूल : मुजफ्फरनगर, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1887

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : सूफ़ीवाद / रहस्यवाद

उप श्रेणियां : तज़किरा

पृष्ठ : 312

सहयोगी : रामपुर रज़ा लाइब्रेरी,रामपुर

ashraf-us-sawaneh
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लेखक: परिचय

मज्ज़ूब, ख़्वाजा अज़ीजुल-हसन ग़ौरी (1884-1944) क़लन्दर-स्वभाव के थे। जालौन (उत्तर प्रदेश) में पैदा हुए। वकालत की तालीम हासिल की मगर वकालत कभी नहीं की। कई सरकारी नौकरियाँ कीं मगर न कभी अंग्रेज़ों के लिबास पहने, न उन जैसा  बनने की कोशिश की। मोहब्बत से शराबोर शाइ’री की जो लौकिक भी है, अलौकिक भी।

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